हिन्दी साहित्य का इतिहास – प्रेमाश्रयी काव्यधारा
*** प्रेमाश्रयी काव्यधारा के प्रमुख प्रवृतियों एवं रचनाकारों के बारे में समझाना....
*** हिन्दी में प्रेमाख्यानक काव्य परम्परा के विकास को समझना.......
*** जायसी का महत्व... पद्मावत को एक सुन्दर महाकाव्य का रूप प्रदान करना.....
*** अद्भुत घटनाओं का संयोजन, लोकप्रचलित धर्म एवं विश्वासों का अवलम्बन तथा बोलचाल की अवधी का प्रयोग जासयी को महान लोककवि के रूप में स्थान मिलना.....
*** प्रेमाख्यान काव्य के सूफियों के संदर्भ में दिनकर ने लिखा है - “ये हिन्दुत्व से पैर से पैर मिलाकर चलनेवाले लोग थे।“
***इस परम्परा की एक विशेषता है कि नायिकाओं के नाम पर रचनाएँ लिखी गई है जैसे पद्मावत,सत्यवती, मृगावती आदि।
*** प्रेमाख्यान काव्यों में फारसी रहस्यवाद का भारतीय अद्धैतवाद से मेल मिलता है.....
*** प्रमुख काव्य – हंसावली, चंदायन, लखनसेन पद्मावत कथा, सत्यवती, पद्मावत, मधुमालती, ढोला मारू रा दूहा, रूपमंजरी, चित्रावली आदि।