हिन्दी साहित्य का इतिहास – ज्ञानाश्रयी काव्यधारा
*** निर्गुण एवं सगुण धारा का भेद समझाना.......
*** निर्गुण धारा के एक अंग ज्ञानाश्रयी काव्यधारा का परिचय........
*** ज्ञानाश्रयी काव्यधारा के प्रमुख संतों और उनकी रचनाओं का परिचय........
*** इस काव्यधारा के कवि लोक, परलोक दोनों को भी महत्व देते है.......
*** एक ओर वे सांसारिक भोगविलास की निन्दा करते है... दूसरी तरफ सामाजिक जीवन में व्याप्त कटुता, विषमता आदि का विरोध करते है....
*** इस धारा के कवि श्रम का महत्व प्रतिपादित किया.....
*** इनका सबसे प्रमुख देय है – समाज की विषमता का विरोध तथा मानववाद की स्थापना....
*** इस काल के कवियों ने आम आदमी में गौरव एवं स्वाभिमान भर दिया।