मुक्तिबोध
मुक्तिबोध की कविताओं में लोक जीवन क यथार्थ रूप
दृष्टव्य होता है। वे अपने शब्दों की दूरदर्शी निगाहों से लोक जीवन के यथार्थ को
अंकित करते हैं। अपनी जीवन-यात्रा में वे जनपद के अनुभवों को आत्मसात करके संवेदित
करते हैं। उनकी कविता जीवन संघर्ष की पंक्तियाँ हैं-
उन किसानों के संघर्ष जीवन की
उसके भई पार पुनः जीवन के समतल में
नये-नये प्रश्नों के
लक्ष्यों की/नील-लहर यमुना है
श्रमिकों की, कृषकों की बाँहों से बन जाता दो आबा
अथों की हिम-गिरिजा गंगा में
प्राणों की सरयू यह मिलती है
तुलसी स्वर गन्धिता।