भारतीय काव्यशास्त्र – छंद
1. शिल्पगत आधार पर दोहे से उल्टा छंद है : सोरठा
रोला
चौपाई
छप्पय
2. चरणों की मात्रा, यति और गति के आधार पर छन्द किस प्रकार के हैं ?
सम, विषम और अर्द्धसम
सम और विषम
मुक्त और मात्रिक
साधारण और दण्डक
3. मैथिलीशरण गुप्त जी के काव्य से इन्हें कौन से छन्द प्रिय होने का प्रमाण मिलता है ?
मात्रिक एवं सम
वर्णिक एवं मात्रिक
सम एवं विषम
वर्णिक एवं सम
4. कुण्डली चरण वाले छन्द को कहते हैं। इसके प्रत्येक चरण में कितनी मात्राएं होती है ?
24
11
13
16
5. छन्द का सर्वप्रथम उल्लेख कहां मिलता है ?
ऋग्वेद
उपनिषद
सामवेद
यजुर्वेद
6. चारों चरणों में समान मात्राओं वाले छन्द को क्या कहते हैं ?
मात्रिक सम छन्द
मात्रिक विषम छन्द
मात्रिक अर्द्धसम छन्द
उपर्युक्त सभी
7. छन्द-बद्ध पंक्ति में प्रयुक्त स्वर-व्यंजन की समानता को कहते हैं -
तुक
चरण
यति
गण
8. छंदशास्त्र में 'दशाक्षर' किसे कहते हैं ?
ल और ग वर्णो को समूह को
दस वर्णों के समूह को
आठ के समूह को
इनमें से कोई नहीं
9. छन्द की रचना किसके द्वारा होती है ?
गणों के समायोजन से
स्वर के समायोजन से
ध्वनियों के समायोजन से
इनमें से कोई नहीं
10. जिस छन्द के पहले तथा तीसरे चरण में 13-13 और दूसरे तथा चौथे चरण में 11-11 मात्राएँ होती हैं, वह छन्द कहलाता है -
दोहा
रोला
चौपाई
कुंडलिया
11. छन्द मुख्य रूप से कितने प्रकार के होते हैं ?
दो
तीन
चार
छः
12. प्रवाह लाने के लिए छन्द की पंक्ति में ठहरना कहलाता है -
यति
गति
तुक
लय
13. छन्द की प्रत्येक पंक्ति को क्या कहते हैं ?
चरण
वाक्य
चौपाई
यति
14. वर्ण, मात्रा, गति, यति आदि को नियंत्रित रचना को क्या कहते हैं ?
छन्द
दोहा
अलंकार
रस