गुड फ्राइडे
गुड फ्राइडे ईसाईयों के लिए एक महत्वपूर्ण दिन है। सच तो यह है कि गुड फ्राइडे शोक दिवस है। क्योंकि इस दिन प्रभु ईसा मसीह को सूली में चढ़ा दिया गया था। बाइबल के अनुसार ईसा को जिस जगह सूली पर चढ़ाया गया था, उसका नाम गोलगोथा था। लगभग 2000 वर्षों पहले प्रभु ईशु का जन्म हुआ था। जिन्होंने गैलिली प्राँत में रहकर लोगों को मानवता, एकता और अहिंसा का उपदेश दिया। वह तो मानवता वादी थे। ईसा को काँटों का मुकुट पहनाया गया। उन्हें कूड़ों से क्रूरतापूर्वक पीटा गया। प्यास लगने पर लाठी के एक सिरे पर बरतन टाँगकर उनके ओठों तक पहुँचाया गया। उनपर थूका गया। क्रूस पर हाथों और पाँवों में कीलें ठोंकी गयीं। इस तरह प्रभु ईसा मसीह को सूली में चढ़ा दिया गया था। संसार के ऐसे महान पुरुष को इतनी घोर यातना दी गयी। सलीब पर झूलते हुए भी उन्होंने अपने उत्पीड़कों के लिए इतना ही कहा, ''हे ईश्वर, इन्हें क्षमा कर दीजिए, क्योंकि ये नहीं जानते कि ये क्या कर रहे हैं।'' उनके भक्त अविरल आँसू बहा रहे थे, वे प्राणघाती पीड़ा से कराह रहे थे। उनका बलिदान सबके लिए था। उनका पुनरुत्थान सबके लिए हुआ। उन्होंने अपना सन्देश सभी को सुनाया। जिन फरीसियों ने उन्हें सूली पर चढ़ाने के लिए ढूँढा, उन्हें भी अपना संदेश सुनाया। जिन यहूदियों ने उनपर अविश्वास किया, उन्हें भी अपना संदेश सुनाया तथा उन असंख्य भक्तों को भी उन्होंने अपना संदेश सुनाया जिनका वे आदर पाते रहे। प्रभु ईसा ने सारे संसार का पाप अपने पर ओढ़ लिया और उसके परिशोधन के लिए उन्होंने अपना बलिदान किया। यही कारण है कि उनका बलिदान-दिवस- गुड फ्राइडे- केवल ईसाइयों के लिए ही नहीं, समग्र मानवजाति के लिए महान पुण्यदिवस बन गया है। उस दिन शुक्रवार था। तब से इस दिन को गुड फ्राइडे कहा। गुड फ्रायडे एक ऐसा दिन जब ईसा मसीह ने अपने भक्तों के लिए बलिदान देकर निःस्वार्थ प्रेम बरसाया। ईसा मसीह ने विरोध और यातनाएँ सहते हुए अपने प्राण त्याग दिए उन्हीं की आराधना और वचनों के माध्यम से इंसानियत की राह पर चलने का ज्ञान देने वाला दिन है गुड फ्राइडे। गुड फ्राइडे को होली फ्राइडे, ब्लैक फ्राइडे और ग्रेट फ्राइडे आदि नामों से भी जाना जाता है। इसी प्रकार ईस्टर ईसाइयों की नींव है। इस दिन प्रभु ईसा मसीह का पुनरुत्थान हुआ था। प्रभु ईसा का यह बलिदान ईसाई धर्म में सबसे गंभीर माना जाता है। इस दिन ईसाइयों के सबसे बड़े गिरजाघर 'सेंट पीटर्स' से लेकर छोटे-छोटे गिरजाघरों तक शोक छाया छा जाता है और प्रभु ईसा मसीह को याद कर शोक मनाते हैं।
गुड फ्राइडे के 40 दिन पहले से ही ईसाई समुदाय में प्रार्थना और उपवास शुरू हो जाते हैं। प्रभु ईसा मसीह ने मानव सेवा प्रारंभ करने से पूर्व 40 दिन व्रत किया था शायद इसी वजह से उपवास की यह परंपरा शुरू हुई। गुड फ्राइडे की प्रार्थना दोपहर 12 बजे से 3 बजे के मध्य की जाती है क्योंकि इसी दौरान ईसा मसीह को क्रॉस पर चढ़ाया गया था। ईस्टर की आराधना उषाकाल में महिलाओं द्वारा की जाती है क्योंकि इसी वक्त ईसा मसीह का पुनरुत्थान हुआ था और उन्हें सबसे पहले मरियम मदीलिनी नामक महिला ने देखकर अन्य महिलाओं को इसके बारे में बताया था। गुड फ्राइडे के दिन ईसा के अंतिम 7 वाक्यों की विशेष व्याख्या की जाती है, जो क्षमा, मेल-मिलाप, सहायता और त्याग पर केंद्रित होती है। इस घटना की पुनीत स्मृति में संसारभर के ईसाई बड़े ही प्रेम और श्रद्धा के साथ यह त्यौहार मनाते हैं। ईसा मसीह ने मानवता की भलाई के लिए जान दी थी। भगवान ईसा का निधन इतिहास की सबसे महत्त्वपूर्ण घटना है। महाप्रभु ईसा के बलिदान के बाद ही बारथोलोमि, थॉमस, पॉल, पीटर जैसे शिष्य संसार के कोने-कोने में उनके अमर संदेश सुनाकर मानवता का कल्याण करते रहे।
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