बुधवार, 4 अगस्त 2021

शनि : सबसे सुंदर ग्रह | गुणाकर मुले | SATURN | टायटन |

शनि : सबसे सुंदर ग्रह 
गुणाकर मुले


सौर-मंडल के सबसे बड़े ग्रह बृहस्पति के बाद शनि ग्रह की कक्षा है। शनि सौर-मंडल का दूसरा बड़ा ग्रह है। यह हमारी पृथ्वी से करीब 750 गुना बड़ा है। शनि के गोले का व्यास 116 हज़ार किलोमीटर है अर्थात् पृथ्वी के व्यास से करीब नौ गुना अधिक। हमारी पृथ्वी सूर्य से करीब 15 करोड़ किलोमीटर की दूरी पर है। तुलना में शनि ग्रह दस गुना अधिक दूर है। इसे दूरबीन के बिना कोरी आँखों से भी आकाश में पहचाना जा सकता है। 

हमारी पौराणिक कथाओं के अनुसार शनि महाराज सूर्य के पुत्र हैं। शनि को 'शनैश्चर' भी कहते है। आकाश के गोल पर यह ग्रह बहुत धीमी गति से चलता दिखाई देता है। इसीलिए प्राचीन काल के लोगों ने इसे 'शनैःचर' नाम दिया था। शनैचर का अर्थ होता है धीमी गति से चलनेवाला। 

लेकिन बाद के लोगों ने इस शनैश्चर को सनीचर बना डाला। सनीचर का नाम लेते ही अंधविश्वासियों की रूह काँपने लगती है। एक बार यदि यह ग्रह किसी की राशि में पहुंच जाये, तो फिर साढ़े सात साल तक उसकी खैर नहीं।

शनि को यदि दूरबीन से देखा जाये तो इस ग्रह के चहुँ ओर वलय (गोल) दिखाई देते हैं। प्रकृति ने इस ग्रह के गले में खूबसूरत हार डाल दिये है। शनि के इन वलयों या कंकणों ने इस ग्रह को सौर-मंडल का सबसे सुंदर एवं मनोहर ग्रह बनाया है। वस्तुतः शनि सौर-मंडल का सर्वाधिक सुंदर ग्रह है।

ताज़ी जानकारी के अनुसार बृहस्पति, युरेनस और नेपच्यून के इर्द-गिर्द भी वलय हैं, परंतु शनि के वलय ज्यादा विस्तृत और स्पष्ट हैं। शनि के अद्भुत वलयों और इसकी अन्य अनेक विशेषताओं के बारे में विस्तृत जानकारी हमें आधुनिक काल में ही मिली है। 

शनि ग्रह अत्यंत मंद गति से करीब तीस वर्षों में सूर्य का एक चक्कर लगाता है। इसलिए साल-भर के अंतर के बाद भी आकाश में शनि की स्थिति में कोई विशेष परिवर्तन नहीं दिखाई देता। यह एक राशि में करीब ढाई साल तक रहता है। 

शनि ग्रह सूर्य से पृथ्वी की अपेक्षा करीब दस गुना अधिक दूर है, इसलिए बहुत कम सूर्यताप उस ग्रह तक पहुँचता है - पृथ्वी का मात्र सौवाँ हिस्सा। इसलिए शनि के वायुमंडल का तापमान शून्य के नीचे 150° सेंटीग्रेड के आसपास रहता है। शनि एक अत्यन्त ठंडा ग्रह है। 

बृहस्पति की तरह शनि का वायुमंडल भी हाइड्रोजन, हीलियम, मीथेन तथा एमोनिया गैसों से बना है। शनि की सतह के बारे में हमें कोई जानकारी नहीं है। हम केवल इसके चमकीले बाहरी यायुमंडल को ही देख सकते हैं। शनि के केंद्रभाग में ठोस गुठली होनी चाहिए। लेकिन चंद्रमा, मंगल या शुक्र की तरह शनि की सतह पर उतर पाना आदमी के लिए संभव नहीं होगा। 

अभी दो दशक पहले तक शनि के दस उपग्रह खोजे थे। लेकिन अब शनि के उपग्रहों की संख्या 17 पर पहुँच गई है। धरती से भेजे गये स्वचालित अंतरिक्षयान पायोनियर तथा वायजर शनि के नज़दीक पहुँचे और इन्हीं के ज़रिए इस ग्रह के सात नए उपग्रह खोजे गये। शनि के और भी कुछ चंद्र हो सकते है।

शनि का सबसे बड़ा चंद्र टायटन सौर-मंडल का सर्वाधिक महत्वपूर्ण और 6 दिलचस्प उपग्रह है। टाइटन हमारे चंद्र से भी काफी बड़ा है। इसका व्यास 5150 किलोमीटर है। अभी कुछ साल पहले तक टाइटन को ही सौर-मंडल का सबसे बड़ा उपग्रह समझा जाता था, परंतु वायजर यान की खोजबीन से पता चला है कि बृहस्पति का गैनीमीड उपग्रह सौर-मंडल का सबसे बड़ा उपग्रह है। शनि की सतह पर अंतरिक्षयान को उतारना तो संभव नहीं है, परंतु टाइटन की सतह पर अतरिक्षयान को उतारा जा सकता है। 

शनि हमारे सौर-मंडल का एक अद्भुत और सुंदर ग्रह है। किसी भी ग्रह को शुभ या अशुभ समझने का कोई भौतिक कारण नहीं है। शनि तो हमारे सौर-मंडल का सबसे खूबसूरत ग्रह है।