कबीर दास के दोहे
साँच बराबर तप नहीं, झूठ बराबर पाप।
जाके हिरदै, साँच है, ताके हिरदै आप।।
सत्य हमेशा महान होता है। संसार में सत्य के समान तपस्या या ज्ञान नहीं। उसी प्रकार झूठ या मिथ्या के बराबर पाप या बुरा काम नहीं। कारण बुराकाम करना पाप है। जिसके हृदय में सत्य का निवास है अर्थात् जो हमेशा सच बोलता है, उसका हृदय निर्मल है । पाप रहित है। उसके निर्मल हृदय में भगवान विराजमान करते हैं। अर्थात् सत्यवादी को भगवान के दर्शन मिलते हैं। वे महान होते हैं, तत्त्व दर्शी होते हैं। समाज सत्यवादी का आदर करता है, पापी का अनादर करता है।