तुलसी के दोहे
रोष न रसना खोलिए, बरु खोलिओ तरवारि।
सुनत मधुर परिनाम हित, बोलिअ वचन विचारि।।
जब क्रोध अधिक हो तो जीभ नहीं खोलनी चाहिए। क्रोध में मनुष्य कड़वी बातें बोल जाता है। अर्थात् किसी को कुछ नहीं कहना चाहिए। ये कड़वी बातें तलवार से भी अधिक घाव करती हैं। कड़वी बातों का प्रहार सीधे हृदय और मन पर होता है। तलवार शरीर पर घाव करती है, मगर कड़वी बातें दिल, मन को घायल करके अधिक कष्ट देती हैं।