रहीम के दोहे
तरुवर फल नहीं खात है, सरवर पिय हिं न पान।
कहि रहीम पर काज हित संपति संचहि सुजान।।
पेड़ अपना फल नहीं खाता। तालाब अपना पानी नहीं पीता। ये दोनों क्रमश: दूसरों के लिए फल और पानी की बचत करते हैं। कारण फल खाने से दूसरों की भूख मिटती है। उसे आनन्द मिलता है। पानी पीने से प्यास मिटती है । सन्तोष होता है । ज्ञानी लोग सूझबूझवाले हैं। इसलिए वे दूसरों की भलाई के लिए संपत्ति का संचय करते हैं। इससे परोपकार होता है। परोपकार एक महान कार्य है।