रविवार, 12 दिसंबर 2021

जन्म-दिवस - रूपनारायण त्रिपाठी | RUPNARAYAN TRIPATHI

जन्म-दिवस - रूपनारायण त्रिपाठी 

यह देश की आजादी के जन्म दिवस पर लिखी कविता है। कवि चाहते हैं कि देश के नवयुवक, इस अवसर पर खुशियाँ मनाएँ और देश के प्रति अपने कर्तव्य को समझकर देश के नव-निर्माण में अपना सहयोग दें।


घर-घर मंगल-दीप जलाओ, उजियाली का रास-रचाओ।

सदियों का तम हरनेवाली नई किरण का जन्म-दिवस है।।

यह वह दिन है जब अपने को, अपना वातावरण मिला था।

अपने पौरुष के पुष्कर में, स्वतंत्रता का कमल खिला था।

विहगो! गीत खुशी के गाओ, भँवरो! जीवन-बीन बजाओ।

आज तुम्हारी फुलबगिया में, नये सुमन का जन्म दिवस है।।

बजी चेतना की शहनाई, जगा राह का तिनका-तिनका।

लहर-लहर ने ली अंगडाई, महका फूल सुनहरे दिन का।

सागर, सरिता, वन, उपवन में, अपनी धरती और गगन में।

आज हिमाचल के आँगन में नई लगन का जन्म-दिवस है।।

सदियों की उदास बेंसी में, जगा मुक्ति का गीत सुनहरा।

सपनों की प्यासी बाहों में, विश्वासों का बादल उतरा ।।

उजियाली के राजकुमारो, नई राह के सिरजनहारो,

आज तुम्हारी स्वतन्त्रता के पहले क्षण का जन्म-दिवस है।।

तुम्हें शपथ हर बुझे दीप की, उजियाली को नई उमर दो।

सदियों की उजड़ी बगिया को, नये-नये फूलों से भर दो ।।

श्रम की नूतन ऋचा सँवारो, पौरुष की आरती उतारो,

आज देश की नव रचना के अभिनव प्रण का जन्म-दिवस है।