गुरुवार, 9 दिसंबर 2021

साथी, हाथ बढ़ाना | साहिर लुधियानवी | SAHIR LUDHIANVI | गीत

साथी हाथ बढ़ाना (गीत) 
साहिर लुधियानवी

एक दूसरे के साथ मिलकर रहने से मुश्किल काम भी आसान हो जाता है। नये नये मार्ग खुलने लगते हैं। इस कविता में मिलजुलकर रहने से प्राप्त होनेवाले परिणामों के बारे में बताया गया है।


साथी हाथ बढ़ाना

एक अकेला थक जाएगा, मिलकर बोझ उठाना।

साथी हाथ बढ़ाना।

हम मेहनतवालों ने जब भी, मिलकर कदम बढ़ाया

सागर ने रस्ता छोड़ा, परबत ने सीस झुकाया

फ़ौलादी हैं सीने अपने, फ़ौलादी हैं बाँहें

हम चाहें तो चट्टानों में पैदा कर दें राहें

साथी हाथ बढ़ाना।

मेहनत अपने लेख की रेखा, मेहनत से क्या डरना

कल गैरों की खातिर की, आज अपनी खातिर करना

अपना दुख भी एक है साथी, अपना सुख भी एक

अपनी मंजिल सच की मंज़िल, अपना रस्ता नेक

साथी हाथ बढ़ाना ।



एक से एक मिले तो कतरा, बन जाता है दरिया

एक से एक मिले तो ज़र्रा, बन जाता है सेहरा

एक से एक मिले तो राई, बन सकती है परबत

एक से एक मिले तो इंसाँ, बस में कर ले किस्मत

साथी हाथ बढ़ाना।