तुलसी के दोहे
बहुसुत, बहुरुचि, बहुवचन, बहु अचार-व्यौहार।
इनको भलो मनाइबो, यह अज्ञान अपार।।
तुलसीदास कहते है कि जान-बुझकर गलती करनेवाले को उपदेश देना मूर्खता है। जिस व्यक्ति की अनेक संतानें हों, अनेक कामनाएँ हों और समयानुसार जिनके आचार-व्यवहार बदलते हों, उन लोगों की भलाई चाहना मूर्खता है।