तुलसी के दोहे
तुलसी काया खेत है, मनसा भयो किसान।
पाप-पुण्य दोउ बीज हैं, बुवै सो लुनै निदान।।
मानव का शरीर कर्मक्षेत्र है। उसका मन किसान है। पाप और पुण्य दो बीज हैं। जो जैसा बीज बोता है, वह उसी प्रकार फल प्राप्त करता है। मतलब यह है कि मनुष्य जैसा कर्म करता है, उसी के अनुसार फल पाता है।