वृन्द के दोहे
मधुर वचन ते जात मिट, उत्तम जन अभिमान।
तनिक सीत जल सो मिटै, जैसे- दूध उफान।।
मीठी वाणी से क्रोध शांत हो जाता है, जैसे कि उबलते दूध पर शीतल जल की छींटे पड़ने से उफ़ान कम हो जाता है। अर्थात् दुष्ट व्यक्ति के घमंड को मधुर वाणी से ही मिटाया जा सकता है, उससे लड़ने−झगड़ने से नहीं।