ममता कालिया
(जन्म सन् 1940)
ममता कालिया का जन्म मथुरा उत्तर प्रदेश में हुआ। उनकी शिक्षा के कई पड़ाव रहे जैसे नागपुर, पुणे, इंदौर, मुंबई आदि। दिल्ली विश्वविद्यालय से उन्होंने अंग्रेजी विषय से एम.ए. किया एम.ए. करने के बाद सन् 1963-1965 तक दौलत राम कालेज, दिल्ली विश्वविद्यालय में अंग्रेजी की प्राध्यापिका रहीं। 1966 से 1970 तक एस.एन.डी.टी. महिला विश्वविद्यालय, मुंबई में अध्यापन कार्य, फिर 1973 से 2001 तक महिला सेवा सदन डिग्री कालेज, इलाहाबाद में प्रधानाचार्य रहीं। 2003 से 2006 तक भारतीय भाषा परिषद् कलकत्ता की निदेशक रहीं। वर्तमान में नयी दिल्ली में रहकर स्वतंत्र लेखन कर रही हैं।
उनकी प्रकाशित कृतियाँ हैं-बेघर, नरक दर नरक, एक पत्नी के नोट्स, प्रेम कहानी, लड़कियाँ दौड़ आदि (उपन्यास) हैं तथा 12 कहानी संग्रह प्रकाशित हैं जो संपूर्ण कहानियाँ नाम से दो खंडों में प्रकाशित हैं। हाल ही में उनके दो कहानी-संग्रह और प्रकाशित हुए हैं, जैसे पच्चीस साल की लड़की, थियेटर रोड के कौवे।
कथा-साहित्य में उल्लेखनीय योगदान के लिए उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान से साहित्य भूषण 2004 में तथा वहीं से कहानी सम्मान 1989 में प्राप्त हुआ। उनके समग्र साहित्य पर अभिनव भारती कलकत्ता ने रचना पुरस्कार भी दिया। इसके अतिरिक्त उन्हें सरस्वती प्रेस तथा साप्ताहिक हिंदुस्तान का श्रेष्ठ कहानी पुरस्कार भी प्राप्त है।
ममता कालिया शब्दों की पारखी हैं। उनका भाषाज्ञान अत्यंत उच्चकोटि का है। साधारण शब्दों में भी अपने प्रयोग से जादुई प्रभाव उत्पन्न कर देती हैं। विषय के अनुरूप सहज भावाभिव्यक्ति उनकी खासियत है। व्यंग्य की सटीकता एवं सजीवता से भाषा में एक अनोखा प्रभाव उत्पन्न हो जाता है। अभिव्यक्ति की सरलता एवं सुबोधता उसे विशेष रूप से मर्मस्पर्शी बना देती है।