विष्णु खरे
(सन् 1940-2018)
विष्णु खरे का जन्म छिंदवाड़ा, मध्य प्रदेश में हुआ। क्रिश्चियन कॉलेज, इंदौर से 1963 में उन्होंने अंग्रेजी साहित्य में एम.ए. किया। 1962-63 में दैनिक इंदौर समाचार में उप संपादक रहे। 1963-75 तक मध्य प्रदेश तथा दिल्ली के महाविद्यालयों में अध्यापन से भी जुड़े। इसी बीच 1966-67 में लघु-पत्रिका व्यास का संपादन किया। तत्पश्चात् 1976-84 तक साहित्य अकादमी में उप सचिव (कार्यक्रम) पद पर पदासीन रहे। 1985 से नवभारत टाइम्स में प्रभारी कार्यकारी संपादक के पद पर कार्य किया। बीच में लखनऊ संस्करण तथा रविवारीय नवभारत टाइम्स (हिंदी) और अंग्रेज़ी टाइम्स ऑफ़ इंडिया में भी संपादन कार्य से जुड़े रहे। 1993 में जयपुर नवभारत टाइम्स के संपादक के रूप में भी कार्य किया। इसके बाद जवाहर लाल नेहरू स्मारक संग्रहालय तथा पुस्तकालय में दो वर्ष वरिष्ठ अध्येता रहे। अब स्वतंत्र लेखन तथा अनुवाद कार्य में रत हैं।
औपचारिक रूप से उनके लेखन प्रकाशन का आरंभ 1956 से हुआ। पहला प्रकाशन टी.एस. इलियट का अनुवाद मरू प्रदेश और अन्य कविताएँ 1960 में, दूसरा कविता संग्रह एक गैर-रूमानी समय में 1970 में प्रकाशित हुआ। तीसरा संग्रह खुद अपनी आँख से 1978 में, चौथा सबकी आवाज़ के परदे में 1994 में, पाँचवाँ पिछला बाकी तथा छठा काल और अवधि के दरमियान प्रकाशित हुए। एक समीक्षा-पुस्तक आलोचना की पहली किताब 1983 में प्रकाशित। उन्होंने विदेशी कविताओं का हिंदी तथा हिंदी-अंग्रेजी अनुवाद अत्यधिक किया है। उनको फिनलैंड के राष्ट्रीय सम्मान नाइट ऑफ दि आर्डर ऑफ दि व्हाइट रोज़ से सम्मानित किया गया। इसके अतिरिक्त रघुवीर सहाय सम्मान, शिखर सम्मान हिंदी अकादमी दिल्ली का साहित्यकार सम्मान, मैथिलीशरण गुप्त सम्मान मिल चुका है। इनकी कविताओं में जड़ताओं और अमानवीय स्थितियों के विरुद्ध सशक्त नैतिक स्वर की अभिव्यक्ति है।