अक्षरों का महत्त्व - गुणाकर मुले
अक्षरों की कहानी......
यह पुस्तक अक्षरों से बनी है। सारी पुस्तकें अक्षरों से बनी हैं। तरह-तरह की पुस्तकें। तरह-तरह के अक्षर।
दुनिया में अब तक करोड़ों पुस्तकें छप चुकी हैं। हजारों पुस्तकें रोज छपती हैं। तरह-तरह के अक्षरों में हज़ारों की तादाद में रोज़ ही समाचार-पत्र छपते रहते हैं। इन सबके मूल में हैं अक्षर। हम कल्पना भी नहीं कर सकते कि यदि आदमी अक्षरों को न जानता, तो आज इस दुनिया का क्या हाल होता।
कोई कह सकता है कि हम अक्षरों को अनादि काल से जानते हैं। अक्षरों का ज्ञान हमें किसी ईश्वर से मिला है।
पुराने जमाने के लोग सचमुच ही सोचते थे कि अक्षरों की खोज ईश्वर ने की है। पर आज हम जानते हैं कि अक्षरों की खोज किसी ईश्वर ने नहीं, बल्कि स्वयं आदमी ने की है। अब तो हम यह भी जानते हैं कि किन अक्षरों की खोज किस देश में किस समय हुई ! हमारी यह धरती लगभग पाँच अरब साल पुरानी है। दो-तीन अरब साल तक इस धरती पर किसी प्रकार के जीव-जंतु नहीं थे। फिर करोड़ों साल तक केवल जानवरों और वनस्पतियों का ही इस धरती पर राज्य रहा। आदमी ने इस धरती पर कोई पाँच लाख साल पहले जन्म लिया। धीरे-धीरे उसका विकास हुआ।
कोई दस हज़ार साल पहले आदमी ने गाँवों को बसाना शुरू किया। वह खेती करने लगा। वह पत्थरों के औज़ारों का इस्तेमाल करता था। फिर उसने ताँबे और काँसे के भी औजार बनाए।
प्रागैतिहासिक मानव ने सबसे पहले चित्रों के ज़रिए अपने भाव व्यक्त किए। जैसे, पशुओं, पक्षियों, आदमियों आदि के चित्र। इन चित्र-संकेतों से बाद में भाव संकेत अस्तित्व में आए। जैसे, एक छोटे वृत्त के चहुँ ओर किरणों की द्योतक रेखाएँ खींचने पर वह 'सूर्य' का चित्र बन जाता था। बाद में यही चित्र 'ताप' या 'धूप' का द्योतक बन गया। इस तरह अनेक भाव-संकेत अस्तित्व में आए।
तब जाकर काफ़ी बाद में आदमी ने अक्षरों की खोज की। अक्षरों की खोज के सिलसिले को शुरू हुए मुश्किल से छह हजार साल हुए हैं। केवल छह हजार साल!
मध्य अमरीका के बिवा आदिवासियों के चित्र (दाई ओर से बाई ओर को क्रमशः ) तूफान का देवता जो सारे आकाश को घेरता है, नगाड़ा, पंखों से सुशोभित नगाड़ा, द्रोणकाक, कीवा और दवाखाने में आदमी।
अक्षरों की खोज के साथ एक नए युग की शुरुआत हुई। आदमी अपने विचार और अपने हिसाब-किताब को लिखकर रखने लगा। तबसे मानव को 'सभ्य' कहा जाने लगा। आदमी ने जबसे लिखना शुरू किया तबसे 'इतिहास' आरंभ हुआ। किसी भी कौम या देश का इतिहास तब से शुरू होता है जबसे आदमी के लिखे हुए लेख मिलने लग जाते हैं। इस प्रकार, इतिहास को शुरू हुए मुश्किल से छह हजार साल हुए हैं। उसके पहले के काल को 'प्रागैतिहासिक काल' यानी इतिहास के पहले का काल कहते हैं।
अतः हम देखते हैं कि यदि आदमी अक्षरों की खोज नहीं करता तो आज हम इतिहास को न जान पाते। हम यह न जान पाते कि पिछले कुछ हजार सालों में आदमी किस प्रकार रहता था, क्या-क्या सोचता था. कौन-कौन राजा हुए इत्यादि।
अक्षरों की खोज मनुष्य को सबसे बड़ी खोज है। अक्षरों की खोज करने के बाद ही मनुष्य अपने विचारों को लिखकर रखने लगा। इस प्रकार एक पीढ़ी के ज्ञान का इस्तेमाल दूसरी पीढ़ी करने लगी। अक्षरों की खोज करने के बाद पिछले छह हज़ार सालों में मानव जाति का तेजी से विकास हुआ।
यह महत्त्व है अक्षरों का और उनसे बनी हुई लिपियों का। अतः हम सबको अक्षरों की कहानी मालूम होनी चाहिए। आज जिन अक्षरों को हम पढ़ते या लिखते हैं वे कब बनाए गए, कहाँ बने और किसने बनाए, यह जानना जरूरी है भी।