THE MOUNTAIN MAN | मांझी | दशरद मांझी | नाटक | SCHOOL SCRIPT | फिल्म | MOTIVATION | DIRE TO DREAM
फिल्म: मांझी – द माउंटेन मैन | अभिनीत: नवाजुद्दीन सिद्दीकी, राधिका आप्टे |
निर्देशक: केतन मेहता | 21 अगस्त 2015
मांझी – द माउंटेन मैन
1min Story review………..
यह फिल्म है बिहार के दशरथ मांझी की, जिन्होंने अकेले दम पर 22 सालों की कड़ी मेहनत से सिर्फ़ हथोड़े और छैनी
की मदद से एक बड़ा पहाड़ काटकर रास्ता बना लिया और लगभग 70 किलोमीटर(km) की लंबी दूरी को सिर्फ एक किलोमीटर में समेट दिया। यह फिल्म पटना के
गहलोरे गांव के दशरथ मांझी के वास्तविक जीवन पर आधारित है। यह फिल्म ‘दशरथ मांझी’ के जूनून, प्रयास,
कभी न हार मानने वाली ज़िद्द और आखिर में सफल होने की कहानी है।
हालाँकि यह पूरी फिल्म बहुत ही प्रेरणादायक है जिसे देखने के बाद आप पूरी तरह
मोटिवेशन से भर जाते हैं।
SCENE-1
(परदा खोलने के बाद.... एक मेला जैसा जन..... मुखिया के
dress पर तीन या पाँच लोग /background music) तीन या पाँच लोग बैठकर बात कर रहे है......)
सब बराबर... सब बराबर..... सब बराबर... सब
बराबर......।
(नाचते..नाचते मेला आ रहे है)
सरकार ने कानून बना दिया है। सब बराबर..
सब बराबर.....।
(नाचते..नाचते मेला आ रहे है)
दशरथ - यह सच्च है....... सब बराबर.....
(मेला GROUP) पात्र-1 अखबार में छपा है....... सब बराबर... सब बराबर.......।
(मुखिया GROUP) पात्र-2 गलती
हो गयी यार....सरकार ने खास बात खतम कर रही है.....गिरिजनवासी और जमींदारी
खतम....सब बराबर कह रहे है....
(मुखिया GROUP) पात्र-3 छोडिये
मुखिया जी कानून कौन लागू करेगा.... (उसी समय दशरथ वहाँ पहुँचता है)
दशरथ - Good
morning मुखिया जी कैसे है आप....आप बिलकुल बदले ही नही। अभी वही
चमक...(गले लगाते है) (जोशभरी आवाज background
music)
मुखिया - बहुवा माँफ करना पहचाना ही नही....
दशरथ– हमे दशरथ मबुल माथे की बेटा....
मुखिया – हर चल...तूम.....हा हा हर चल..... (Music……)
दशरथ – सबको सरकार बराबर कर दिया कि किसी को भी छू सकते है.....
(मुखिया GROUP) पात्र 1 – अरे दशरथ.....कौन सा बराबर......
(मुखिया GROUP) पात्र 2 – अरे न लायक.....कौन सा बराबर......
मुखिया – सरकार बोलने पर माथे पर बैठेगा......(नाराज से background
music) इतनी तुड़ाई करो कि जीवन भर अपनी जात की औकात न भूलें।.... (दशरथ को मारते है)
(दशरथ मार खाकर भाग जाता है.......)
SCENE-2
(दशरथ वहाँ से घर जाता है.....)
दशरथ - हाय... ये तो मेरी फगुनिया (बीबी) है? कैसे हो...तुम्हारे लिए ताजमहल लाया हूँ...
बीबी - इतनी छोटी....
दशरथ - हाह...हाह... यह तो हमारे पहाड़ जैसा बड़ा है। अच्छा एक बात
बता दूँ.... हम शहर जायेंगे और कुछ काम कर खुश से रहेंगे।
बीबी - हम जानते हैं....खुश से रहेंगे।
दशरथ – खूब कमायेंगे खुश से रहेंगे....
बीबी – अभी मेरे लिए काम है....पहाड चढकर पानी लाना है.....
दशरथ – चलो मैं भी तुम्हारे साथ आऊँगा।
बीबी – न बाबा, तुम अपने काम देख लो।...(Music……)
(बीबी पहाड छडती है.......)
बीबी – (मन मे सोचती थी कि शहर में खुशी से रहेंगे....सब जगह
घूमेंगे...नाचेंगे...
(उसी समय...पहाड से नीचे गिर जाती....)
पात्र-1 – दशरथ तुम्हारी बीबी पहाड से गिर गई......
दशरथ – हे भगवान.... क्या हो गया...
(music…. डाक्टर के पास ले जाते है......) (Time need here…)
डाक्टर – बच्चा तो जिंदा है लेकिन.............
दशरथ – (रोता....रोता....कहता है......) पहाड की वजह से ही... पहाड की वजह से
ही... फगुनिया.. मैं वादा करता हूँ...तुम्हारी हालत गाँव के किसी के साथ न होने
दूँगा।... मैं पहाड को तोडकर रास्ता बनाऊँगा.....“बहुत
अकड़ है तोहरा में, देख कैसे उखाड़ते हैं अकड़ तेरी”.......
SCENE-3
(Background ब़डा पहाड... Stage पर
कागज से बना पहाड......)
30sec.. Music……
उसी समय पत्थर तोडता दशरथ (dress मजदूरों की/ हवा चलने की
आवाज background music)........
पात्र-1 – अरी चल दिया पहाड तोडे...अरे दो साल हो गया एक ही लोग
आया मदद करे...एक दिन मरते रहना पहाड में....तो बनते रहना पहाड तुडवय्या...
(उसी समय पहाड के पास आकर खुद पहाड को देखकर दशरथ कहता
है......)
दशरथ – हे… फिर आ गये...सब राज्य कुषे...हाँ...आपको क्या लगता था, हम नही
लौटेंगे.....जब तक तोड़ेंगे नहीं, तब तक छोड़ेंगे नहीं,
बहुतै बड़ा दंगल चलेगा रे तोहर हमारा.....तैयार है.... हाँ. हाँ.
हाँ. हाँ...तैयार है। (music……)
दशरथ – हमके रूलाकर हँसते है...हँसहँसहँसहँसहँस (फिर तोडना
शुरू करते है) (पत्थर तोडने जैसा background music)
दशरथ – ये कासे कास बना दिया...हमको...कुछ गुनानी नही चाहते...ये
तो दिक्कत है हम... पेलों से गुस गये हमारी कोपडिया में......कभी भी कही से शुरू
हो जाते है...चल पडा...आगे पीछे पीछे आगे...नाचते रहता.... (music…) सब याद है....सब
याद है।
(उसी समय दो आदमी दशरथ को मजाक उडाते कहते है कि अकेला
पहाड तोडेगा.... हाँ.हाँ.हाँ.हाँ.हाँ.हाँ...) और कब तक... (dress
मजदूरों की/ आश्चर्य से आवाज background
music)
दशरथ : “लोग कहते हैं कि हम पागल हैं.... जिंदगी खराब कर
रहा है जब तक.....है टूटेगा नहीं…...मैं हरेगा नहीं..!”
SCENE–3
(उसी समय पत्रकार वहाँ पहुँचते है...... Background music....)
दशरथ मांझी उनसे कहते हैं – तुम अपना अखबार क्यों नहीं शुरू करते?
तो वह पत्रकार कहता है - अपना अखबार शुरू करना बहुत मुश्किल काम
है।
तो दशरथ मांझी कहते हैं - "पहाड़ तोड़ने से भी ज़्यादा मुश्किल
है"? हाँ.हाँ.हाँ.हाँ.हाँ.हाँ........
(music…..पत्थर तोडने जैसा....रास्ता बन गया....)
पत्रकार - दशरथ मांझी आप सूपर मेन है... एक बात बताईये...असंभव
कार्य संभव करने के बाद क्या कहना चाहेंगे आप....
(पत्रकार और पूरे गाँव वालों से दशरथ कहता है कि.....
दशरथ : क्या बतायेंगे भय्या
पत्रकार – कुछ तो कहिये....
दशरथ: “भगवान के भरोसे मत बैठिये, क्या पता भगवान हमारे
भरोसे बैठा हो!” हाँ.हाँ.हाँ.हाँ.हाँ.हाँ...............(दिल से हँसता है.... Story end..)
(दशरथ ने 22 सालों की कड़ी मेहनत से एक बड़ा पहाड़ काटकर रास्ता बना लिया
और लगभग 70 किलोमीटर(km) की लंबी दूरी को सिर्फ एक किलोमीटर में समेट दिया। यह एक सजीव कहानी है।
अभी भी आप उस रास्ता देख सकते है। आदमी चाहे तो असंभव कार्य भी संभव कर सकता है
इसका एक उदाहरम दशरथ माँझी.....)
******धन्यवाद******