इकाई पाठ – योजना
· कक्षा – दसवीं
· पुस्तक – स्पर्श
(भाग-२)
· विषय-वस्तु – लेख (समीक्षा)
·
प्रकरण – ‘तीसरी कसम के शिल्पकार: शैलेन्द्र’
शिक्षण- उद्देश्य :-
1.
ज्ञानात्मक –
1.
मनुष्य-मात्र
के स्वभाव एवं व्यवहार की जानकारी देना।
2.
पाठ में दिए गए तथ्यों की सूची
बनाना।
3.
लेख की विषयवस्तु को पूर्व में सुनी या पढ़ी हुई घटना से संबद्ध करना।
4.
नए शब्दों के अर्थ समझकर अपने शब्द- भंडार में
वृद्धि करना।
5.
साहित्य के गद्य –विधा (लेख)की जानकारी देना।
6.
छात्रों को फ़िल्म एवं फ़िल्म कलाकारों के बारे में जानकारी देना।
7.
नैतिक मूल्यों की ओर प्रेरित करना।
8.
प्राणि-मात्र
के प्रति करूणा, सहानुभूति, प्रेम आदि की भावनाएँ जागृत करना।
2.
कौशलात्मक -
1.
स्वयं लेख लिखने की योग्यता का विकास करना।
2.
फ़िल्म निर्माण की वास्तविकता,मुश्किलों आदि का ज्ञान प्राप्त करना।
3.
फ़िल्म समीक्षा – कला की जानकारी प्राप्त करना।
3.
बोधात्मक –
1.
फ़िल्म ‘ तीसरी कसम ’ के
नायक तथा नायिका के चरित्र को समझना।
2.
रचनाकार के उद्देश्य को स्पष्ट करना।
3.
लेख में आए फ़िल्म से संबंधित संवेदनशील स्थलों का चुनाव करना।
4.
समाज में व्याप्त विसंगतियों के बारे में सजग होना।
4.
प्रयोगात्मक –
1.
फ़िल्म की कहानी को अपने दैनिक जीवन के संदर्भ में जोड़कर देखना।
2.
‘
तीसरी कसम
फ़िल्म के मुख्य - पात्रों का चरित्र-चित्रण करना ।
3.
पाठ का सारांश अपने शब्दों में
लिखना।
सहायक
शिक्षण – सामग्री:-
1.
चाक , डस्टर आदि।
2.
पावर प्वाइंट के द्वारा पाठ की
प्रस्तुति।
पूर्व ज्ञान:-
1.
फ़िल्म जगत के बारे में ज्ञान है।
2.
फ़िल्म निर्माण की कठिनाइयों के बारे में ज्ञान है।
3.
समीक्षा-कला
का प्रारंभिक ज्ञान है।
4.
साहित्यिक-लेख
की थोड़ी-बहुत जानकारी है।
5.
सामाजिक बुराइयों से वाक़िफ़ हैं।
6.
मानवीय स्वभाव की जानकारी है।
प्रस्तावना
– प्रश्न :-
1.
बच्चो! क्या
आपने साठ-सत्तर के दशक में बनी कोई फ़िल्म
देखी है?
2.
क्या आपने फ़िल्म ‘ तीसरी कसम ’ देखी है? यदि हाँ, तो उसके नायक-नायिका के नाम बताओ।
3.
हमारे देश में ज़्यादातर फ़िल्में कहाँ बनती हैं? आपकी भाषा में भी कोई फ़िल्म बनी
है?
4.
एक ग्रामीण और एक शहरी मनुष्य की स्वभावगत विशेषताएँ बताइए।
उद्देश्य कथन :- बच्चो! आज हम लेखक ‘प्रहलाद अग्रवाल’ के
द्वारा रचित फ़िल्म समीक्षा ‘ तीसरी कसम के शिल्पकार: शैलेंद्र’ का
अध्ययन करेंगे।
पाठ की इकाइयाँ—
प्रथम
अन्विति—
· फ़िल्म अभिनेता राजकपूर का फ़िल्मी सफ़र।
· ‘ तीसरी कसम को मिलने वाले पुरस्कार।
· शैलेंद्र का राजकपूर के साथ वार्तालाप।
द्वितीय अन्विति :-
· एक अच्छे मानव के रूप में शैलेंद्र
का परिचय ।
· शैलेंद्र का संगीतकार शंकर-जयकिशन के
साथ बहस।
· ‘ तीसरी कसम के नायक-नायिका का
परिचय।
· हिन्दी फ़िल्मों की कमज़ोरी।
· गीतकार शैलेंद्र।
· अभिनय की दॄष्टि से राजकपूर और
वहीदा रहमान।
शिक्षण विधि :-
क्रमांक |
अध्यापक - क्रिया |
छात्र - क्रिया |
१. |
लेख का सारांश :- प्रस्तुत
फ़िल्म समीक्षा गीतकार तथा कवि शैलेंद्र के
फ़िल्मी-जीवन का लेखा-जोखा है।एक गीतकार की रूप में
कई दसकों तक फ़िल्म क्षेत्र से जुड़े रहे कवि और गीतकार शैलेंद्र ने जब फणीश्वरनाथ
‘रेणु’ की
अमर कॄति ‘ तीसरी कसम ’ उर्फ़
‘ मारे गए ग़ुलफ़ाम ’ को
पर्दे पर उतारा तो वह मील का पत्थर सिद्ध
हुई।आज भी उसकी गणना हिन्दी की कुछ अमर फ़िल्मों में की
जाती है। इस फ़िल्म ने न केवल अपने गीत, संगीत कहानी की बदौलत
शोहरत पाई बल्कि इसमें अपने ज़माने के सबसे बड़े शोमैन राजकपूर ने अपने फ़िल्मी जीवन
की सबसे बेहतरीन एक्टिंग करके सबको चमत्कृत कर दिया। फ़िल्म की हीरोइन वहीदा रहमान
ने भी वैसा ही अभिनय कर दिखाया जैसी उनसे उम्मीद थी। इस मायने
में एक यादगार फ़िल्म होने के बावज़ूद ‘ तीसरी कसम ’ को
आज भी इसलिए याद किया जाता है क्योंकि इस फ़िल्म के
निर्माण ने यह भी उजागर कर दिया है कि हिन्दी फ़िल्म जगत
में एक सार्थक और उद्देश्यपरक फ़िल्म बनाना कितना कठिन और ज़ोखिम का काम है। |
लेख को
ध्यानपूर्वक सुनना और समझने का प्रयास करना। नायक के चरित्र पर तथा सामाजिक बुराई
पर अपने विचार प्रस्तुत करना। |
२. |
लेखक-परिचय :- ‘प्रहलादअग्रवाल’(जन्म-१९४७) एक सुप्रसिद्ध साहित्यकार हैं
जिन्होंने फ़िल्म-समीक्षा
के क्षेत्र में अद्वितीय सफलता प्राप्त की है।
इन्हेंकिशोर वय से ही हिन्दी फ़िल्मों के इतिहास और फ़िल्मकारों
के जीवन और उनके अभिनय के बारे में विस्तार से जानने और उस पर चर्चा करने
का शौक रहा है। वे इसी क्षेत्र को अपने जीवन का विषय बनाए रखने के लिए कॄतसंकल्प
हैं। इनकी प्रमुख कृतियाँ हैं- सातवाँ दशक, तानाशाह, मैं खुश्बू, सुपर स्टार, राजकपूर:आधी हकीकत आधा फ़साना, कवि शैलेंद्र: ज़िन्दगी की जीत में यकीन, प्यासा: चिर अतृप्त गुरुदत्त, उत्ताल उमंग: सुभाष घई की फ़िल्मकला,ओ रे माँझी: विमल राय का सिनेमा और महाबाज़ार
के महानायक:
इक्कीसवीं
सदी का सिनेमा। |
लेखक के
बारे में आवश्यक जानकारियाँ अपनी अभ्यास –पुस्तिका में लिखना। |
३. |
शिक्षक के
द्वारा पाठ का उच्च स्वर में पठन करना। |
उच्चारण
एवं पठन – शैली को ध्यान से सुनना। |
४. |
पाठ के
अवतरणों की व्याख्या करना। |
पाठ को
हॄदयंगम करने की क्षमता को विकसित करने के लिए पाठ को ध्यान से सुनना। पाठ से संबधित
अपनी जिज्ञासाओं का निराकरण करना। |
५. |
कठिन
शब्दों के अर्थ :- सर्वोत्कृष्ट
– सबसे अच्छा शिद्दत – तीव्रता , तन्मयता
– तल्लीनता आगह – सचेत , बमुश्किल
–बहुत कठिनाई से , नामज़द
– विख्यात नावाकिफ़ – अनजान , दुरूह
– कठिन इकरार – सहमति , मंतव्य
– इच्छा पारिश्रमिक
– मेहनताना संवेदनशीलता
– भावुकता अभिजात्य – परिष्कृत सैल्यूलाइड
– कैमरे की रील में
उतार चित्र पर प्रस्तुत करना |
छात्रों
द्वारा शब्दों के अर्थ अपनी अभ्यास-पुस्तिका में लिखना। |
६. |
छात्रों
द्वारा पठित अनुच्छेदों में होने वाले उच्चारण संबधी अशुद्धियों को दूर
करना। |
छात्रों
द्वारा पठन। |
७. |
पाठ में आए
व्याकरण का व्यावहारिक ज्ञान प्रदान करना।
|
व्याकरण के
इन अंगों के नियम, प्रयोग
एवं उदाहरण को अभ्यास-पुस्तिका में लिखना। |
गृह
– कार्य :-
1.
पाठ का सही उच्चारण के साथ उच्च स्वर मेँ पठन करना।
2.
पाठ के प्रश्न – अभ्यास करना।
3.
लेख के प्रमुख तथ्यों की संक्षेप में सूची तैयार करना।
4.
पाठ में आए कठिन शब्दों का अपने वाक्यों में प्रयोग करना।
परियोजना
कार्य :-
1.
‘
तीसरी कसम ’ फ़िल्म
तथा राजकपूर अभिनित कुछ फ़िल्मों की सी.डी.,कैसेट आदि संग्रह करना।
2.
समाज में व्याप्त किसी समस्या पर आधारित कोई कहानी या लेख लिखना।
मूल्यांकन :-
निम्न विधियों
से मूल्यांकन किया जाएगा :-
1.
पाठ्य-पुस्तक
के बोधात्मक प्रश्न—
o
राजकपूर द्वारा निर्देशित कुछ फ़िल्मों के नाम बताइए।
o
राजकपूर की किस बात पर शैलेंद्र का चेहरा मुरझा गया?
o
शैलेंद्र के अनुसार कलाकार का क्या कर्तव्य है?
o
‘
तीसरी कसम ’को
‘ सैल्यूलाइड’ पर
लिखी कविता क्यों कहा गया है ?
o
शैलेंद्र के गीतों की क्या विशेषताएँ हैं?
o
लेखक ने ऐसा क्यों लिखा है कि ‘ तीसरी कसम ’ ने साहित्य-रचना के साथ शत-प्रतिशत न्याय किया है?
2.
इकाई परीक्षाएँ
3.
गृह – कार्य
4.
परियोजना - कार्य