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रविवार, 29 जनवरी 2017

हिन्दी भाषा और साहित्य का आरंभ (मध्यकालीन काव्य)

हिन्दी भाषा और साहित्य का आरंभ

               हिन्दी भाषा और साहित्य का आरंभ (मध्यकालीन काव्य)

          
                इस वीडियो से हिन्दी भाषा के शुरूवत से परिचय करवाकर, हिन्दी साहित्य के आरंभ की प्रवृत्तियों से अवगत कराना मुख्य उद्देश्य है। 

*** हिन्दी भाषा का आरंभ की जडे अवहट्ठ, अपभ्रंश, प्राकृत, पालि से लेकर संस्कृत भाषा तक फैली मानी जाती है।

 *** संस्कृत को प्राचीन आर्यभाषा, पालि-प्राकृत-अपभ्रंश के मध्यकालीन आर्यभाषा और हिन्दी – गुजराती – मराठी – बंगला आदि को आधुनिक आर्यभाषा माना जाता है। 

*** अनेक भाषा वैज्ञानिक हिन्दी को सिंधी का ईरानी भाषा रूपांतरण मानते है। उत्तर भारत में हिन्दी से अधिक हिंदवी नाम का प्रचलन था। अमीर खुसरो जैसे कवियों ने मध्यदेश की भाषा के वजह से हिंदवी का नाम लिया है। 

*** अपभ्रंश की मिलावट तो सबकी भाषा में है, शुक्ल जी इसी को देशभाषा मिश्रित अपभ्रंश कहते है। 

*** इसी के समानांतर ब्रज, अवधी, मैथिली आदि प्रादेशिक भाषाओं में साहित्य मिलते हैं। इसके जरिये हिन्दी भाषा और साहित्य को समृद्ध बनाता है। 

*** डॉ. रामविलास शर्मा(आलोचक) – हिन्दी सहित्य के शुरूवत को हिन्दी जाती के गठन से जोडकर देखते है। 

*** हिन्दी साहित्य के निर्माण में हिन्दू-मुस्लिम दोंनों का योगदान है। 

*** अंत में कह सकते है कि हिन्दी साहित्य का रूढ़ अर्थ खडीबोली का साहित्य रह गया है। उर्दू, हिन्दुस्तानी को भी वह पीछे छोडकर अपने विकासपथ पर हिन्दी अग्रसर है।