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बुधवार, 9 दिसंबर 2020

हिन्दी साहित्य के नए इतिहास लेखन की जरूरत और सम्भावना (HINDI SAHITYA KE NAYE ITIHAS LEKHAN KI JARURAT AUR SAMBHAVNA)

हिन्दी साहित्य के नए इतिहास लेखन की जरूरत और सम्भावना (HINDI SAHITYA KE NAYE ITIHAS LEKHAN KI JARURAT AUR SAMBHAVNA) हिन्दी साहित्य के नए इतिहास लेखन की जरूरत और सम्भावना (HINDI SAHITYA KE NAYE ITIHAS LEKHAN KI JARURAT AUR SAMBHAVNA)

हिन्दी साहित्य के विभिन्न कालों पर पुनर्विचार की जरूरत (HINDI SAHITYA KE VIBHINN KALON PAR PUNARVICHAR KI JARURAT)

हिन्दी साहित्य के विभिन्न कालों पर पुनर्विचार की जरूरत (HINDI SAHITYA KE VIBHINN KALON PAR PUNARVICHAR KI JARURAT) हिन्दी साहित्य के विभिन्न कालों पर पुनर्विचार की जरूरत (HINDI SAHITYA KE VIBHINN KALON PAR PUNARVICHAR KI JARURAT)

हिन्दी साहित्य के इतिहास लेखन में काल-विभाजन का आधार (HINDI SAHITYA KE ITIHAS LEKHAN MAIN KAAL VIBHAJAN KA AADHAR)

हिन्दी साहित्य के इतिहास लेखन में काल-विभाजन का आधार (HINDI SAHITYA KE ITIHAS LEKHAN MAIN KAAL VIBHAJAN KA AADHAR) हिन्दी साहित्य के इतिहास लेखन में काल-विभाजन का आधार (HINDI SAHITYA KE ITIHAS LEKHAN MAIN KAAL VIBHAJAN KA AADHAR)

हिन्दी साहित्य के इतिहास में परम्परा और प्रगति का सम्बंध (HINDI SAHITYA KE ITIHAS MAIN PRAMPRA AUR PRAGATI KA SAMBANDH)

हिन्दी साहित्य के इतिहास में परम्परा और प्रगति का सम्बंध (HINDI SAHITYA KE ITIHAS MAIN PRAMPRA AUR PRAGATI KA SAMBANDH) हिन्दी साहित्य के इतिहास में परम्परा और प्रगति का सम्बंध (HINDI SAHITYA KE ITIHAS MAIN PRAMPRA AUR PRAGATI KA SAMBANDH)

हिन्दी का प्रतिबन्धित साहित्य और हिन्दी साहित्य का इतिहास (HINDI KA PRATIBIMBIT SAHITYA AUR HINDI SAHITYA KA ITIHAS)

हिन्दी का प्रतिबन्धित साहित्य और हिन्दी साहित्य का इतिहास (HINDI KA PRATIBIMBIT SAHITYA AUR HINDI SAHITYA KA ITIHAS) हिन्दी का प्रतिबन्धित साहित्य और हिन्दी साहित्य का इतिहास (HINDI KA PRATIBIMBIT SAHITYA AUR HINDI SAHITYA KA ITIHAS)

हिन्दीतर भारतीय भाषाएँ और हिन्दी साहित्य (HINDITTAR BHARTIYA BHASHAYEN OR HINDI SAHITYA)

हिन्दीतर भारतीय भाषाएँ और हिन्दी साहित्य (HINDITTAR BHARTIYA BHASHAYEN OR HINDI SAHITYA) हिन्दीतर भारतीय भाषाएँ और हिन्दी साहित्य (HINDITTAR BHARTIYA BHASHAYEN OR HINDI SAHITYA)

द्विवेदी युग (DWIVEDIYUG)

द्विवेदी युग (DWIVEDIYUG) द्विवेदी युग (DWIVEDIYUG)

भारतेन्दु युग (BHARTENDUYUG)

भारतेन्दु युग (BHARTENDUYUG) भारतेन्दु युग (BHARTENDUYUG)

हिन्दी साहित्य के इतिहास लेखन में हिन्दी और उर्दू का सम्बंध (HINDI SAHITYA KE ITIHAS LEKHAN MAIN HINDI AUR URDU KA SAMBANDH)

हिन्दी साहित्य के इतिहास लेखन में हिन्दी और उर्दू का सम्बंध (HINDI SAHITYA KE ITIHAS LEKHAN MAIN HINDI AUR URDU KA SAMBANDH) हिन्दी साहित्य के इतिहास लेखन में हिन्दी और उर्दू का सम्बंध (HINDI SAHITYA KE ITIHAS LEKHAN MAIN HINDI AUR URDU KA SAMBANDH)

साहित्यिक भाषा के रूप में खड़ीबोली का विकास (SAHITYA BHASHA KE ROOP MAIN KHDI BOLI KA VIKAS)

साहित्यिक भाषा के रूप में खड़ीबोली का विकास (SAHITYA BHASHA KE ROOP MAIN KHDI BOLI KA VIKAS) साहित्यिक भाषा के रूप में खड़ीबोली का विकास (SAHITYA BHASHA KE ROOP MAIN KHDI BOLI KA VIKAS)

साहित्यिक भाषा के रूप में अवधी का विकास (SAHITYA BHASHA KE ROOP MAIN AVDHI KA VIKAS)

साहित्यिक भाषा के रूप में अवधी का विकास (SAHITYA BHASHA KE ROOP MAIN AVDHI KA VIKAS) साहित्यिक भाषा के रूप में अवधी का विकास (SAHITYA BHASHA KE ROOP MAIN AVDHI KA VIKAS)

साहित्यिक भाषा के रूप में ब्रजभाषा का विकास (SAHITYA BHASHA KE ROOP MAIN BRIJBHASHA KA VIKAS)

साहित्यिक भाषा के रूप में ब्रजभाषा का विकास (SAHITYA BHASHA KE ROOP MAIN BRIJBHASHA KA VIKAS) साहित्यिक भाषा के रूप में ब्रजभाषा का विकास (SAHITYA BHASHA KE ROOP MAIN BRIJBHASHA KA VIKAS)

हिन्दी साहित्य में आधुनिकता का उदय (HINDI SAHITYA MAIN ADHUNIKATA KA UDAY)

हिन्दी साहित्य में आधुनिकता का उदय (HINDI SAHITYA MAIN ADHUNIKATA KA UDAY) हिन्दी साहित्य में आधुनिकता का उदय (HINDI SAHITYA MAIN ADHUNIKATA KA UDAY)

हिन्दी साहित्य का इतिहास – रीति का स्वरूप एवं रीतिकाल की परिस्थितियाँ (RITI KA SWAROOP EVM RITIKAAL KI PARISTHITIYAN)

हिन्दी साहित्य का इतिहास – रीति का स्वरूप एवं रीतिकाल की परिस्थितियाँ (RITI KA SWAROOP EVM RITIKAAL KI PARISTHITIYAN) हिन्दी साहित्य का इतिहास – रीति का स्वरूप एवं रीतिकाल की परिस्थितियाँ (RITI KA SWAROOP EVM RITIKAAL KI PARISTHITIYAN)

शुक्रवार, 25 जनवरी 2019

हिन्दी साहित्य का इतिहास – रीतिबद्ध काव्य की मुख्य प्रवृत्तियाँ

हिन्दी साहित्य का इतिहास – रीतिबद्ध काव्य की मुख्य प्रवृत्तियाँ 

*** रीतिबद्धता रीतिकाल की प्रमुख प्रवृत्तियाँ है......

*** इस धारा के आचार्य कवियों ने अलंकारनिरूपण, रसनिरूपम, नायकाभेदनिरूपण आदि की सुदृढ़ और व्यापक परंम्परा हिन्दी में स्थापित की।

*** रीतिबद्ध काव्य की मुख्य प्रवृत्तियाँ इस वीडोयो में प्रस्तुत है.....

*** रीतिबद्ध काव्य के प्रमुख कवियों और उनकी रचनाओं के विषय में जानकारी देना............

*** रीतिबद्ध काव्य के प्रमुख कवि # आचार्य केशवदास, चिन्तामणि, जयवंत सिंह, मतिराम, भूषण, देव, कुलपति मिश्र, भिखारीदास, पद्माकर, श्रीपति मिश्र, मंडन, कालिदास त्रिवेदी, सुखदेवमिश्र, सुरतिमिश्र, ग्वालकवि, रूपसाहि, रसलीन, रसनिधि आदि के बारे में संक्षिप्त परिचय देना आदि.........




रविवार, 20 जनवरी 2019

हिन्दी साहित्य का इतिहास – रीतिकालीन काव्य के प्रेरणास्त्रोत

हिन्दी साहित्य का इतिहास – रीतिकालीन काव्य के प्रेरणास्त्रोत 

*** रीतिकाल का सामान्य परिचय प्राप्त करने के साथ उसके आशय से परिचित करवाना.....

*** रीतिकालीन हिन्दी कविता अपने युग-परिवेश में व्यापक श्रृंगारिक भावनाओं की प्रभावी अभिव्यक्ति करने वाली कलात्मक कविता है, जिसकी प्रमुख प्रवृति रीतिनिरूपण करनेवाले काव्यशास्त्रीय लक्षणग्रंथों के माध्यम से काव्याभिव्यक्ति करना है.........

*** राजाश्रय एवं राजदरबार में फलने-फूलने के कारण इस काल की कविता में पांडित्यप्रदर्शन और चमत्कारपूर्ण काव्यरचना की प्रवृति दिखाई देती है.......

*** संस्कृत साहित्य की समृद्ध काव्यशास्त्रीय परंपरा.......

*** प्राकृत, अपभ्रंश और संस्कृत साहित्य का श्रृंगारी साहित्य.....

*** रीतिकालीन काव्य के काव्यशास्त्रीय एवं रचनात्मक प्रेरक पृष्ठभूमि......

शुक्रवार, 18 जनवरी 2019

हिन्दी साहित्य का इतिहास – प्रेमाश्रयी काव्यधारा

हिन्दी साहित्य का इतिहास – प्रेमाश्रयी काव्यधारा 

*** प्रेमाश्रयी काव्यधारा के प्रमुख प्रवृतियों एवं रचनाकारों के बारे में समझाना....

*** हिन्दी में प्रेमाख्यानक काव्य परम्परा के विकास को समझना.......

*** जायसी का महत्व... पद्मावत को एक सुन्दर महाकाव्य का रूप प्रदान करना.....

*** अद्भुत घटनाओं का संयोजन, लोकप्रचलित धर्म एवं विश्वासों का अवलम्बन तथा बोलचाल की अवधी का प्रयोग जासयी को महान लोककवि के रूप में स्थान मिलना.....

*** प्रेमाख्यान काव्य के सूफियों के संदर्भ में दिनकर ने लिखा है - “ये हिन्दुत्व से पैर से पैर मिलाकर चलनेवाले लोग थे।“

***इस परम्परा की एक विशेषता है कि नायिकाओं के नाम पर रचनाएँ लिखी गई है जैसे पद्मावत,सत्यवती, मृगावती आदि।

*** प्रेमाख्यान काव्यों में फारसी रहस्यवाद का भारतीय अद्धैतवाद से मेल मिलता है.....

*** प्रमुख काव्य – हंसावली, चंदायन, लखनसेन पद्मावत कथा, सत्यवती, पद्मावत, मधुमालती, ढोला मारू रा दूहा, रूपमंजरी, चित्रावली आदि।

हिन्दी साहित्य का इतिहास – ज्ञानाश्रयी काव्यधारा

हिन्दी साहित्य का इतिहास – ज्ञानाश्रयी काव्यधारा 

*** निर्गुण एवं सगुण धारा का भेद समझाना.......

*** निर्गुण धारा के एक अंग ज्ञानाश्रयी काव्यधारा का परिचय........

*** ज्ञानाश्रयी काव्यधारा के प्रमुख संतों और उनकी रचनाओं का परिचय........

*** इस काव्यधारा के कवि लोक, परलोक दोनों को भी महत्व देते है.......

*** एक ओर वे सांसारिक भोगविलास की निन्दा करते है... दूसरी तरफ सामाजिक जीवन में व्याप्त कटुता, विषमता आदि का विरोध करते है....

*** इस धारा के कवि श्रम का महत्व प्रतिपादित किया.....

*** इनका सबसे प्रमुख देय है – समाज की विषमता का विरोध तथा मानववाद की स्थापना....

*** इस काल के कवियों ने आम आदमी में गौरव एवं स्वाभिमान भर दिया।

हिन्दी साहित्य का इतिहास – रामभक्ति काव्यधारा

हिन्दी साहित्य का इतिहास – रामभक्ति काव्यधारा 

*** हिन्दी काव्य में रामभक्ति काव्यधारा के महत्व को समझना...

*** राम काव्यधारा के प्रमुख कवियों और उनकी रचनाओँ से परिचय करवाना....

*** राम काव्यधारा के सर्वश्रेष्ठ कवि तुलसीदास है। तुलसीदास के महत्व समझाना (रामकाव्य के संदर्भ में).......

*** रामकथा का प्राचीन स्त्रोत वाल्मीकि रामायण है... वहाँ से अब तक की पहचान.....

*** रामकाव्य की अजश्र धारा आधुनिक काल में भी प्रवाहित है।

*** आधुनिक काल के अनेक कवियों ने रामकथा से सम्बंधित रचनाएँ की है। पर उनमें साकेत, वैदेही वनवास और राम की शक्तिपूजा विशेष उल्लेखनीय है।

बुधवार, 16 जनवरी 2019

हिन्दी साहित्य का इतिहास – कृष्णभक्ति काव्यधारा

हिन्दी साहित्य का इतिहास – कृष्णभक्ति काव्यधारा 

*** कृष्णभक्ति काव्यधारा हिन्दी साहित्य के आदिकाल से लेकर आधुनिक काल तक प्रवाहित है। मध्यकाल के भक्तकवियों ने कृष्णभक्ति को जिस रूप में प्रस्तुत किया वह अद्वितीय है। आधुनिक काल भी कृष्णभक्ति काव्य से अछूता नहीं है, दरअसल श्रीकृष्ण एक ऐसे प्रतीक हैं, जिन्हें आधार बनाकर पहले भी अनेक काव्य लिखे गए और अब भी लिखे जा रहे हैं।

*** इस वीडियो के माध्यम से कृष्णभक्ति काव्यधारा के आदि स्त्रोत से आधुनिक काल तक श्रीकृष्ण से संबंधित रचनाओं और रचनाकारों के बारे में समझ सकेंगे।

जय हिन्दी – जय भारत