शनिवार, 28 जनवरी 2017
रासो साहित्य : प्रामाणिकता का प्रश्न
रासो साहित्य : प्रामाणिकता का प्रश्न
इस वीडियों में आदिकालीन रासो ग्रन्थों की ऐतिहासिकता से परिचय करवाकर उनकी प्रामाणिकता एवं आप्रामाणिकता का पहचाना और विभिन्न विद्वानों के मत समझ सकते है। मुख्यतः पृथ्वीराज रासो के संदर्भ में...।
*** रासो काव्य समय-समय पर परिवर्तित होते रहे है।
*** वीर रस की जैसी ओजपूर्ण अभिव्यक्ति रासो काव्यों में हुई है, वैसी परवर्ति साहित्य में नहीं है।
*** तत्कालीन भाषा के स्वरूप समझने में रासो काव्य उपादेय है।
पृथ्वीराजरासो का काव्य सौंदर्य
पृथ्वीराज रासो का काव्य सौन्दर्य
इस वीडियो के माध्यम से पृथ्वीराज रासो का मूल कथानक एवं विशेषताएँ और काव्यसौन्दर्य की पहचानकर सकेंगे।*** पृथ्वीराज रासों हिन्दी का पहला महाकाव्य हैं।
*** पृथ्वीराज रासों में युद्धों की प्रमुखता है।
*** पृथ्वीराज ने अपने जीवन में दो मुख्य काम किए थे – युद्ध और विवाह।
*** पृथ्वीराज रासों में सभी रसों की योजना की गई है, पर प्रधानतः वीर और श्रृंगार रस की है।
*** चंदवरदायी ने पृथ्वीराज रासो में बडी कुशलता से स्वाभाविक रूप से अलंकारों की योजना की है।
*** पृथ्वीराज रासों का काव्य सौन्दर्य निश्चय ही उच्च श्रेणी का है।
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