रविवार, 5 अप्रैल 2020
शुक्रवार, 25 जनवरी 2019
हिन्दी साहित्य का इतिहास – रीतिबद्ध काव्य की मुख्य प्रवृत्तियाँ
हिन्दी साहित्य का इतिहास – रीतिबद्ध काव्य की मुख्य प्रवृत्तियाँ
*** रीतिबद्धता रीतिकाल की प्रमुख प्रवृत्तियाँ है......
*** इस धारा के आचार्य कवियों ने अलंकारनिरूपण, रसनिरूपम, नायकाभेदनिरूपण आदि की सुदृढ़ और व्यापक परंम्परा हिन्दी में स्थापित की।
*** रीतिबद्ध काव्य की मुख्य प्रवृत्तियाँ इस वीडोयो में प्रस्तुत है.....
*** रीतिबद्ध काव्य के प्रमुख कवियों और उनकी रचनाओं के विषय में जानकारी देना............
*** रीतिबद्ध काव्य के प्रमुख कवि # आचार्य केशवदास, चिन्तामणि, जयवंत सिंह, मतिराम, भूषण, देव, कुलपति मिश्र, भिखारीदास, पद्माकर, श्रीपति मिश्र, मंडन, कालिदास त्रिवेदी, सुखदेवमिश्र, सुरतिमिश्र, ग्वालकवि, रूपसाहि, रसलीन, रसनिधि आदि के बारे में संक्षिप्त परिचय देना आदि.........
रविवार, 20 जनवरी 2019
हिन्दी साहित्य का इतिहास – रीतिकालीन काव्य के प्रेरणास्त्रोत
हिन्दी साहित्य का इतिहास – रीतिकालीन काव्य के प्रेरणास्त्रोत
*** रीतिकाल का सामान्य परिचय प्राप्त करने के साथ उसके आशय से परिचित करवाना.....
*** रीतिकालीन हिन्दी कविता अपने युग-परिवेश में व्यापक श्रृंगारिक भावनाओं की प्रभावी अभिव्यक्ति करने वाली कलात्मक कविता है, जिसकी प्रमुख प्रवृति रीतिनिरूपण करनेवाले काव्यशास्त्रीय लक्षणग्रंथों के माध्यम से काव्याभिव्यक्ति करना है.........
*** राजाश्रय एवं राजदरबार में फलने-फूलने के कारण इस काल की कविता में पांडित्यप्रदर्शन और चमत्कारपूर्ण काव्यरचना की प्रवृति दिखाई देती है.......
*** संस्कृत साहित्य की समृद्ध काव्यशास्त्रीय परंपरा.......
*** प्राकृत, अपभ्रंश और संस्कृत साहित्य का श्रृंगारी साहित्य.....
*** रीतिकालीन काव्य के काव्यशास्त्रीय एवं रचनात्मक प्रेरक पृष्ठभूमि......
शुक्रवार, 18 जनवरी 2019
हिन्दी साहित्य का इतिहास – प्रेमाश्रयी काव्यधारा
हिन्दी साहित्य का इतिहास – प्रेमाश्रयी काव्यधारा
*** प्रेमाश्रयी काव्यधारा के प्रमुख प्रवृतियों एवं रचनाकारों के बारे में समझाना....
*** हिन्दी में प्रेमाख्यानक काव्य परम्परा के विकास को समझना.......
*** जायसी का महत्व... पद्मावत को एक सुन्दर महाकाव्य का रूप प्रदान करना.....
*** अद्भुत घटनाओं का संयोजन, लोकप्रचलित धर्म एवं विश्वासों का अवलम्बन तथा बोलचाल की अवधी का प्रयोग जासयी को महान लोककवि के रूप में स्थान मिलना.....
*** प्रेमाख्यान काव्य के सूफियों के संदर्भ में दिनकर ने लिखा है - “ये हिन्दुत्व से पैर से पैर मिलाकर चलनेवाले लोग थे।“
***इस परम्परा की एक विशेषता है कि नायिकाओं के नाम पर रचनाएँ लिखी गई है जैसे पद्मावत,सत्यवती, मृगावती आदि।
*** प्रेमाख्यान काव्यों में फारसी रहस्यवाद का भारतीय अद्धैतवाद से मेल मिलता है.....
*** प्रमुख काव्य – हंसावली, चंदायन, लखनसेन पद्मावत कथा, सत्यवती, पद्मावत, मधुमालती, ढोला मारू रा दूहा, रूपमंजरी, चित्रावली आदि।
हिन्दी साहित्य का इतिहास – ज्ञानाश्रयी काव्यधारा
हिन्दी साहित्य का इतिहास – ज्ञानाश्रयी काव्यधारा
*** निर्गुण एवं सगुण धारा का भेद समझाना.......
*** निर्गुण धारा के एक अंग ज्ञानाश्रयी काव्यधारा का परिचय........
*** ज्ञानाश्रयी काव्यधारा के प्रमुख संतों और उनकी रचनाओं का परिचय........
*** इस काव्यधारा के कवि लोक, परलोक दोनों को भी महत्व देते है.......
*** एक ओर वे सांसारिक भोगविलास की निन्दा करते है... दूसरी तरफ सामाजिक जीवन में व्याप्त कटुता, विषमता आदि का विरोध करते है....
*** इस धारा के कवि श्रम का महत्व प्रतिपादित किया.....
*** इनका सबसे प्रमुख देय है – समाज की विषमता का विरोध तथा मानववाद की स्थापना....
*** इस काल के कवियों ने आम आदमी में गौरव एवं स्वाभिमान भर दिया।
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