सोमवार, 18 सितंबर 2023

पतझर में टूटी पत्तियाँ | रवींद्र केलेकर | pathjhad mein tooti patiya | ravindra kelekar | lesson plan | cbse | hindi | class 10

 

इकाई पाठयोजना

·         कक्षादसवीं

·         पुस्तक स्पर्श (भाग-)

·         विषय-वस्तुगद्य (डायरी)

·         प्रकरणपतझर में टूटी पत्तियाँ


शिक्षण- उद्देश्य :-

(क)             ज्ञानात्मक

(१)               मनुष्य-मात्र के स्वभाव एवं व्यवहार की जानकारी देना।

(२)            पाठ में वर्णित मुख्य बिन्दुओं को आत्मसात करना।

(३)             पाठ की विषयवस्तु को पूर्व में सुनी हुई घटना या किसी लेख से संबद्ध करना।

(४)            नए शब्दों के अर्थ समझकर अपने शब्द- भंडार में वृद्धि करना।

(५)            साहित्य के गद्यविधा (डायरी)की जानकारी देना।

(६)            छात्रों को गाँधी जी के विचारों और जापान देश की जीवन-शैली की जानकारी देना।

(७)            नैतिक मूल्यों की ओर प्रेरित करना।           

(८)            छात्रों को एक जागरुक और सक्रिय नागरिक बनने की प्रेरणा देना।

(ख)             कौशलात्मक -

(१)  स्वयं डायरी लिखने की योग्यता का विकास करना।

(२)  पर्यावरणप्रदूषण को रोकने विभिन्न उपायों का व्यावहारिक ज्ञान प्राप्त करना। 

(ग)              बोधात्मक

(१)               लेख की मुख्य विषयवस्तु को समझने का प्रयास करना।

(२)               रचनाकार के उद्देश्य को स्पष्ट करना।

(३)               लेख में आए स्मरण रखने योग्य स्थलों का चुनाव करना।

(४)               समाज में व्याप्त भ्रांतियों के बारे में सजग होना।

(घ)                 प्रयोगात्मक

(१)               लेख को अपने दैनिक जीवन के संदर्भ में जोड़कर देखना।

(२)                  लेख से मिली शिक्षाओं पर अमल करना

(३)                  पाठ का सारांश अपने शब्दों में लिखना।

(४)                  ‘ झेन की देन ’ की घटनाओं का वर्णन संक्षेप में अपने शब्दों में करना।

(५)                  ‘ झेन की देन ’कहानी को एकांकी के रूप में मंचस्थ करना।

सहायक शिक्षणसामग्री:-

(१)               चाक , डस्टर आदि।

(२)               पावर प्वाइंट के द्वारा पाठ की प्रस्तुति।

पूर्व ज्ञान:-

(१)               गाँधी जी ’  के बारे में ज्ञान है।

(२)               जापान देश की जीवन - शैली के बारे में ज्ञान है।

(३)               डायरी शैली का नाम सुना है।

(४)               साहित्यिक-भाषा की थोड़ी-बहुत जानकारी है।

(५)               मानवीय स्वभाव की जानकारी है।

 

प्रस्तावनाप्रश्न :-

(१)               बच्चो! क्या आपके आसपास ऐसे लोग रहते हैं जो मानसिक तनाव से पीड़ित हैं?

(२)               क्या आपगाँधी जी ’ के बारे में जानते हैं?

(३)               हमारे देश के लोगों की जीवन – शैली  कैसी है और कैसी होनी चाहिए?

(४)               मनुष्य की स्वभावगत विशेषताएँ बताइए।

उद्देश्य कथन :- बच्चो! आज हम लेखकरवींद्र केलेकरके द्वारा रचित  डायरी शैली की रचना ‘पतझर में टूटी पत्तियाँ का अध्ययन करेंगे।

पाठ की इकाइयाँ

                        प्रथम अन्विति (गिन्नी का सोना)

·         शुद्ध सोने और गिन्नी का सोना में अंतर

·         प्रैक्टिकल आइडियालिस्ट का अर्थ

·         गाँधी जी का आदर्श।

·         व्यवहारवादी लोगों की विशेषता।

द्वितीय अन्विति :- ( झेन की देन)

·         जापान का जन-जीवन

·         ‘ टी-सेरेमनी ’ का अर्थ एवं विधि

·         टी-सेरेमनीका लेखक पर प्रभाव।

 

 

शिक्षण विधि :-

क्रमांक

अध्यापक - क्रिया

छात्र - क्रिया

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पाठ का सारांश :-

प्रस्तुत प्रस्तुत पाठ में दो प्रसंग हैं। पहला प्रसंग ‘गिन्नी का सोना’ जीवन में अपने लिए सुख-साधन जुटाने वालों से नहीं बल्कि उन लोगों से परिचित कराता है जो इस जगत को जीने और रहने योग्य बनाए हुए हैं। इसमें लेखक शुद्ध सोने और गोन्नी के सोने में अंतर समझाते हुए शुद्ध आदर्श और व्यावहारिकता में अंतर बताते हैं। फिर प्रैक्टिकल आदर्शवाद का अर्थ समझाते हुए उनकी विशेषता बताते हैं। गाँधी जी को प्रैक्टिकल आदर्शवादी मानकर उनकी विशेषता बताते हैं।फिर अंत में व्यवहारवादी लोगों की विशेषताएँ समझाते हैं।

दूसरा प्रसंग ‘झेन की देन’ है जिसमें लेखक जापान के लोगों के जीवन के बारे में बताकर उनकी जीवन-शैली को ही उनके मानसिक रोग का कारण बताता है। फिर वह चाय पीने की एक विधि ‘टी-सेरेमनी’ के विधि के बारे में बताता है। इस विधि से चाय पीने के बाद वह सबकुछ भूलकर  बड़ी शांति का अनुभव करता है। वह भूतकाल और भविष्य काल को भूलकर केवल वर्तमान में जीने लगता है। यह विधि जापानियों को झेन परंपरा की एक बड़ी देन है।

कहानी को ध्यानपूर्वक सुनना और समझने का प्रयास करना। नायक के चरित्र पर तथा सामाजिक बुराई पर अपने विचार प्रस्तुत करना।

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लेखक-परिचय :- ‘रवींद्र केलेकर’(जन्म-७ मार्च) गाँधीवादी चिंतक के रूप में विख्यात  हैं जिन्होंने कोंकणी , मराठी तथा हिन्दी लेखन  में अद्वितीय सफलता प्राप्त की है। केलेकर ने काका कालेलकर की कई पुस्तकोम का संपादन और अनुवाद भी किया है। उनके लेख मानवजीवन से काफ़ी गहराई से जुड़ी हुई हैं। सत्य के प्रति आस्था और निष्ठा ही उनकी धरोहर है। केलेकर की प्रमुख कृतियाँउजवाढाचे सूर, समिधा, सांगली, ओथांबे, कोंकणीचे राजकरण, जापान जसा दिलसा और हिन्दी में ‘पतझर में टूटी पत्तियाँ’ हैं।

लेखक के बारे में आवश्यक जानकारियाँ अपनी अभ्यासपुस्तिका में लिखना।

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शिक्षक के द्वारा पाठ का उच्च स्वर में पठन करना।

उच्चारण एवं पठनशैली को ध्यान से सुनना।

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पाठ के अवतरणों की व्याख्या करना।

पाठ को हॄदयंगम करने की क्षमता को विकसित करने के लिए पाठ को ध्यान से सुनना। पाठ से संबधित अपनी जिज्ञासाओं का निराकरण करना।

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कठिन शब्दों के अर्थ :-

प्रैक्टिकल आइडियालिस्ट–व्यावहारिक आदर्श

शाश्वत – जो सदैव एक-सा रहे

स्तर – श्रेणी , 

गिन्नी का सोना – २२कैरेट का सोना

दफ़्ती- लकड़ी की खोखली सरकेने वाली दीवार जिस पर चित्रकारी होती है

पर्णकुटी – पत्तों से बनी कुटिया

बेढब- सा  -- बेडौल-सा

चाजीन – जापानी विधि से चाय पिलाने वाला

 

 

छात्रों द्वारा अपनी अभ्यास- पुस्तिका में लिखना।

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छात्रों द्वारा पठित अनुच्छेदों में होने वाले उच्चारण संबधी अशुद्धियों को दूर करना।

छात्रों द्वारा पठन।

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पाठ में आए व्याकरण का व्यावहारिक ज्ञान प्रदान करना।

·         वाक्य प्रयोग

·         समास (द्वंद्व समास)

·         भाववाचक संज्ञा

·         अनेकार्थी शब्द

·         संयुक्त एवं मिश्र वाक्य

व्याकरण के इन अंगों के नियम, प्रयोग एवं उदाहरण को अभ्यास-पुस्तिका में लिखना।

गृहकार्य :-

(१)               पाठ का सही उच्चारण के साथ उच्च स्वर मेँ पठन करना।

(२)               पाठ के प्रश्नअभ्यास करना।

(३)               लेख की प्रमुख घटनाओं की संक्षेप में सूची तैयार करना।

(४)               पाठ में आए कठिन शब्दों का अपने वाक्यों में प्रयोग करना।

परियोजना कार्य :-

(१)               केलेकर’ की पुस्तक ‘पतझर में टूटी पत्तियाँ’ पुस्तकालय आदि से संग्रह करना।

(२)               भारतीय जीवन-शैली पर आधारित कोई लेख लिखना।

मूल्यांकन :-

निम्न विधियों से मूल्यांकन किया जाएगा :-

१.      पाठ्य-पुस्तक के बोधात्मक प्रश्न

Ø  शुद्ध सोना और गिन्नी का सोना अलग क्यों होता है?

Ø  प्रैक्टिकल आइडियालिस्ट किसे कहते हैं?

Ø  ‘टी-सेरेमनी’ में कितने आदमियों को प्रवेश दिया जाता था और क्यों?

Ø  चाय पीने के बाद लेखक ने अपने में क्या परिवर्तन महसूस किया?

Ø  आपके विचार से कौन-से ऐसे मूल्य हैं जो शाश्वत हैं? वर्तमान समय में इन मूल्यों की प्रासंगिकता स्पष्ट कीजिए।

२.      इकाई परीक्षाएँ

३.      गृह – कार्य

४.      परियोजना - कार्य

 

 

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कबीर – साखी









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बिहारी के दोहे









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बड़े भाई साहब – प्रेमचंद 

कक्षा – दसवीं - स्पर्श (भाग-२) 

इकाई पाठ – योजना